Saturday, February 21, 2009

मंदिर की नींव में

अहो
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अहो,
तुम्हारा आभा मण्डल बेमिसाल है,
वर्ण भले हो श्याम है तो क्या
इसमें भी सौन्दर्य बॆशुमार है,
तुम्हारी दृष्टि की सभी को आस है
जिस पर पड़े उसकी नैया पार है,
लोगों की क्षमता पर भले सवाल हो
पर वे सत्तासीन है यही तुम्हारा चमत्कार है,
मालूम नहीं मुझे
कि तुम जानते हो या नही!!
कितने टूटे सपनों,
कितने टूटे घरों
कितनी टूटी आशओं
कितनी बिखरी किलकारियों
और कितने छितरे विष्वासों
पर खड़ा किया गया तुम्हारा संसार है,
अहो,
अब बताओ तुम्ही
मैं कैसे करुँ नमन तुम्हे,
कैसे भूल जांऊ यह सच
कि आराध्यों के मंदिर की नींव में
जिन्दा लाशॊं को सजा कर
खड़ी की गई है
आस्तिकता की राजनीतिक
इमारत

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Thursday, February 05, 2009

Journalists in the Bandhavgarh Forest
Vikas Samvad Media Conclave 2009