Monday, February 22, 2010

न रहने की खबर

ह़ो सकता है मेरे न रहने की खबर तुम्हे मिले थोड़ी देर से
बचना तुम दुखी होने के फेर से,
मुझे नहीं है अपनी कब्र पर फूलों का ढेर सजाने की चाहत,
मसला यह है कि मेरी रूह की खुशबु न दब जाए उन गुलाबों में,
मुझे मत खोजना मेरी किताबों में मेरे दोस्त / वह तो केवल कला का प्रदर्शन था
मैदान में बने रहने के लिए

मुझे खोजना उन फ़ालतू पलों में जब मैने कुछ नहीं किया,
हम फंसे रहे बहसों के घेर में / क्या यह इल्म नहीं तुमको जब न होंगे मै और तुम
कौन बढ़ाएगा आगे जिन्दगी को बनाने के फलसफे,
तुम जहां भी होओ उस पल में / याद करना हमारी उस सबसे गहरी तकरार को,
जिसमे हम लड़े थे सही और ग़लत के सवाल पर,
तुम जान पाओगे मेरी ख़िलाफ़त / तुम्हारी सरकार से नहीं रही,
मैं तो सामने लाना चाहता था / उन चेहरों को तुम्हारे सामने
जो उसूलों को मसल कर नाचते रहे / सत्ता की ताकत के साथ मदहोश,
ये वही चेहरे हैं जो बिखरे पड़े हैं हमारे तुम्हारे बीच,
तुम भी उस ताकत में / क्यों फ़कत करते रहे विश्वास,
तुम्हारे एक ही करवट सोने की आदत ने / मुझे किया था हर वक्त बैचेन,
दूसरे करवट पर लाना ही बस एक मकसद रहा हर लड़ाई का,
मेरे न होने पर तुम्हे होगा / राजनीति के ग़लत होने का अहसास,
तब शायद मै यह न बता पाऊंगा / दोस्ती और रिश्तों की जमीन पर नहीं बनाया था
मैने अपनी जिन्दगी का नक्शा / तुम सही ह़ो या मैं सही / तुम ग़लत ह़ो या मैं ग़लत,
इन जवाबों की तलाश बहसों में करना बेकार है, / फुटपाथ पर सोने वाले के चेहरे पर खोजिये
इस सवाल का जवाब / यूं भी यही करना पड़ेगा तुम्हे जब मिलेगी
मेरे न रहने की खबर थोड़ी देर से,
यही दुनिया का दस्तूर है / स्थापना के लिए जरूरी है ख़ाक ह़ो जाना!!